5 मई को है महीने का पहला प्रदोष व्रत, ये है पूजा का मुहूर्त और पौराणिक महत्व

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Pradosh Vrat 2024 :  5 मई को है महीने का पहला प्रदोष व्रत, ये है पूजा का मुहूर्त और पौराणिक महत्व


सनातन धर्म के तहत प्रदोष व्रत को हमेशा ही बेहद कल्याणकारी माना जाता है. मई माह में ये व्रत 5 तारीख को होगा. जानिए क्या है इसका शुभ मुहूर्त और पूजन विधि.


प्रदोष का पावन व्रत हर माह में आता है. ये एक ऐसा व्रत है जिसे बहुत ही कल्याणकारी माना जाता है. इस व्रत को जो भी लोग करते हैं वो उस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) का आराधना में लीन रहते हैं. ये भी मान्यता होती है कि जो भी इस दिन इस व्रत को करते हैं, शिव और पार्वती उनकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति भी करते हैं. ये व्रत निःसंतानों को संतान देने वाला भी माना जाता है. अपने परिवार की सुख, शांति और समृद्धि (Happiness And Prosperity) की कामना के साथ बहुत से लोग नियमित रूप से प्रदोष का व्रत रखते हैं. आपको बताते हैं कि मई माह ये व्रत कब आने वाला है और इसका शुभ मुहूर्त क्या है.


मई माह में प्रदोष व्रत

मई का पहला प्रदोष व्रत माह के पांचवें दिन यानी कि 5 मई को आएगा. इस दिन वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि होगी. इसी दिन शाम पांच बजकर 41 मिनट से प्रदोष का व्रत शुरू हो जाएगा. ये तिथि अगले दिन तक जारी रहेगी. तिथि का समापन 6 मई 2024 की दोपहर को दो बजकर 40 मिनट पर होगा. इस हिसाब से प्रदोष का व्रत 5 मई को रखना शुभ माना जा रहा है. इस बार ये तिथि रविवार को होगी. इसलिए इसे रवि प्रदोष व्रत भी कहा जा रहा है.

ये है प्रदोष व्रत का पौराणिक महत्व

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. ये भी मान्यता होती है कि इस दिन व्रत रखने वाले को थोड़े कठिन नियमों का पालन करना चाहिए. कठिन व्रत रखने वालों को भगवान शिव सुख और सेहत के साथ समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. कुछ लोगों में इस दिन खासतौर से भगवान शिव के नटराज स्वरूप को पूजना शुभ माना जाता है. मान्यता है कि भगवान शिव के इस स्वरूप के पूजन से अनश्वर फलों की प्राप्ति होती है.


इस रूप से जुड़ी एक अन्य कथा भी कही जाती है. जिसके अनुसार भगवान शिव ने नटराज रूप लेकर नृत्य किया और एक अप्सरा रूपी राक्षस का अंत किया. यही वजह है कि भक्त भगवान के नटराज स्वरूप का पूजन करते हैं.


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