बर्तन बेचने वाले की बेटी की एक जिद, UPSC किया क्लियर

कलम की आवाज़
0

बर्तन बेचने वाले की बेटी की एक जिद, UPSC था लक्ष्य... IAS बनने की ये कहानी कुछ खास है



नमामि बंसल मिसाल हैं, उन लोगों के लिए जो परिस्थितियों के सामने हार मान लेते हैं। नमामि ने जो मुकाम हासिल किया, वो आसान नहीं था। मुश्किल हालात के बीच वो आगे बढ़ती रहीं। आईएएस बनने की उनकी जिद के सामने हालातों ने भी घुटने टेक दिए। और आखिरकार, नमामि आईएएस अधिकारी बनकर ही मानीं।


नई दिल्ली: जब आंखों में अरमान लिया, मंजिल को अपना मान लिया, है मुश्किल क्या और आसां क्या... जब ठान लिया तो ठान लिया। अगर वाकई इन लाइन का मतलब जानना है, तो उत्तराखंड के ऋषिकेश की नमामि बंसल से मिलिए। नमामि के परिवार में कभी किसी ने यूपीएससी की परीक्षा नहीं दी। पिता की ऋषिकेश में ही बर्तनों की दुकान है। घर की स्थिति ऐसी नहीं थी कि वो इतनी कठिन परीक्षा के लिए लंबे वक्त तक तैयारी कर सकें। लेकिन, नमामि ने एक जिद ठान ली और जिद भी ऐसी-वैसी नहीं, बल्कि आईएएस बनने की। वो तैयारी में जुटीं, तो तीन बार असफलताओं का सामना करना पड़ा। हालांकि, नमामि का हौसला नहीं टूटा और आखिर में उन्होंने अपना सपना पूरा कर दिखाया।


बात उस वक्त की है, जब नमामि अपने स्कूल के दिनों में थीं। 10वीं में 92 फीसदी नंबर मिले, तो नमामि ने ठान लिया कि वो यहीं रुकने वाली हैं, बल्कि अब अपनी कामयाबी के इस सफर को लंबा लेकर जाएंगी। दो साल बाद 12वीं का रिजल्ट आया, तो उन्होंने 95 फीसदी नंबर हासिल किए। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए नमामि ऋषिकेश से दिल्ली आ गईं। यहां उन्होंने लेडी श्रीराम कॉलेज में एडमिशन लिया और इकोनॉमिक्स में ऑनर्स किया। अभी तक उनके मन में यूपीएससी की परीक्षा देने का कोई विचार नहीं था।


नौकरी छोड़ी और तय किया एक मुश्किल लक्ष्य

ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी हुई, तो नमामि ने एक नौकरी ज्वॉइन कर ली। नौकरी के साथ सबकुछ ठीक चल रहा था कि तभी उन्हें एहसास हुआ कि उनकी मंजिल कुछ और है। उन्होंने अपनी वो जिद याद आई, जो उन्होंने 10वीं के रिजल्ट के बाद ठानी थी। बस, नमामि ने नौकरी छोड़ दी और अपने लिए आईएएस बनने का लक्ष्य तय कर लिया। पिता ऋषिकेश में बर्तनों की दुकान चलाते थे और घर के हालात पूरी तरह से नमामि के पक्ष में नहीं थे। इसके बावजूद वो पूरी तरह से यूपीएससी की तैयारी में जुट गईं। बिना कोचिंग उन्होंने खुद से ही नोट्स तैयार किए।


तीन कोशिश नाकाम, चौथी बार में कर दिया कमाल

आईएएस बनने की नमामि की राह अभी और मुश्किल होने वाली थीं। पहले प्रयास में उन्हें नाकामयाबी मिली। जिस मजबूत मन से वो यूपीएससी की तैयारी में जुटी थीं, वो थोड़ा कमजोर हुआ। लेकिन, फिर भी नमामि अपने लक्ष्य से पीछे नहीं हटीं। उन्होंने दूसरी बार कोशिश की और इस बार भी उन्हें सफलता नहीं मिली। नाकामयाबी का ये सिलसिला लगातार तीन साल तक चलता रहा। और फिर वो दिन आया, जिसने नमामि के चेहरे पर सफलता की एक मुस्कान खिला दी। साल 2016 में आए यूपीएससी के रिजल्ट में उन्हें 17वीं रैंक मिली। आईएएस बनने की नमामि की जिद आखिरकार पूरी हो गई।

Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)
To Top