अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने की वैधता की समीक्षा करेगा सुप्रीम कोर्ट, 1 मई को सुनवाई
नई दिल्ली: आर्टिकल 370 को निरस्त करने के केंद्र सरकार के साल 2019 के फैसले को बरकरार रखने वाले सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को चुनौती देने वाली पुनर्विचार याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय समीक्षा के लिए राजी हो गया है। कोर्ट ने सभी याचिकाओं पर 1 मई को विचार करेगी। बता दें कि पिछले साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने को संवैधानिक रूप से वैध ठहराया था।
अपने फैसले में प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने अनुच्छेद 370 को हटाने के केंद्र के फैसले को वैध ठहराते हुए कहा था कि यह अस्थाई प्रावधान था और राष्ट्रपति के पास इसे हटाने का पूरा अधिकार है। इस फैसले को सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद-370 को निरस्त किए जाने के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
साल 2019 में खत्म हुआ था अनुच्छेद 370
भारतीय सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए साल 2019 को देश से विवादित अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया गया था। जिसकी शुरुआत कश्मीर के राजा हरि सिंह से हुई थी। अक्टूबर 1947 में, कश्मीर के तत्कालीन महाराजा, हरि सिंह ने एक विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें कहा गया कि तीन विषयों के आधार पर यानी विदेश मामले, रक्षा और संचार पर जम्मू और कश्मीर भारत सरकार को अपनी शक्ति हस्तांतरित करेगा। आइए जानते हैं विवादित अनुच्छेद 370 क्या था? मार्च 1948 में, महाराजा ने शेख अब्दुल्ला के साथ प्रधान मंत्री के रूप में राज्य में एक अंतरिम सरकार नियुक्त की। जुलाई 1949 में, शेख अब्दुल्ला और तीन अन्य सहयोगी भारतीय संविधान सभा में शामिल हुए और जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति पर बातचीत की, जिससे अनुच्छेद 370 को अपनाया गया। विवादास्पद प्रावधान शेख अब्दुल्ला द्वारा तैयार किया गया था।